परम्परागत कृषि विकास योजना : जैविक खेती करने पर 50000 रुपए तक का अनुदान

Jaivik Kheti, organic kheti

परम्परागत कृषि विकास योजना एक नजर 

यह योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया है। परम्परागत कृषि विकास योजना इसलिए लाया गया है ताकि किसान रासायनिक खेती न करके जैविक खेती करें। ऐसा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाता है। रासायनिक खेती से न केवल मिट्टी खराब हो रही है बल्कि लोगों का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। लोग अनेकों प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण खान पान है।

इस योजना के द्वारा सरकार किसानों के खेतों की उर्वरकता को बढ़ाने का कार्य कर रही है। आजकल के किसान अपने खेतों में इतनी ज्यादा रसायन खाद का इस्तेमाल करते हैं जिससे फसल सही ढंग से उपज नहीं हो पाती है। जैविक खेती होने से देश के लोगों को स्वस्थ और अच्छी सब्जी मिल सकेगी।

परम्परागत कृषि विकास योजना एक पारंपरिक कृषि योजना है, जो साल 2015 में शुरू किया गया था। जैविक खेती से भूजल और सतह पानी में नाइट्रेट की लीचिंग भी कम होती है। यही कारण है कि सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती है। साथ ही किसानों को जैविक खेती के ऐसी तकनीक के बारे में बताया जाएगा, जिससे कि कृषि की लागत कम हो सके और उनकी आय में वृद्धि हो। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको परंपरागत कृषि विकास योजना के बारे में पूरी जानकारी देंगे। यदि आप भी एक कृषक हैं, तो हमारे इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ें।

सॉइल हेल्थ योजना के आधार पर पारंपरिक कृषि विकास योजना को शुरू किया गया है। इस योजना ने किसानों को जैविक खेती करने के लिए काफी ज्यादा प्रेरित किया है। अगर किसी किसान के पास खेती के लिए पैसा नहीं है तो सरकार इसके लिए आपको पैसा देती है। जैविक खेती के स्थाई मॉडल को आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान दोनों का उपयोग करके इस योजना का निर्माण किया जाएगा। पुरानी कृषि विकास योजना का मुख्य लक्ष्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना है।

यह योजना किसानों के लिए ही नहीं बल्कि देश के सभी लोगों के लिए है। जैविक खेती से मिलने वाले सब्जी सेहत के लिए काफी ज्यादा अच्छा माना जाता है। आजकल लोग खेती करने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं। अतः सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि लोग स्वस्थ रहें।


परम्परागत कृषि विकास योजना का उद्देश्य

 

इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक खेती से दूर ले जाना तथा जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित करना है । जैविक खेती करने वाले किसानों को इस योजना के तहत आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस योजना से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार भी हो पायेगा। इसके अलावा, जैविक खेती में कीटनाशकों का कम उपयोग होने से पौष्टिक, रसायन मुक्त फसल का उत्पादन किया जा सकेगा। हमारे देश के लोगों की सेहत को बेहतर बनाने के लिए भी परम्परागत कृषि विकास योजना काफी ज्यादा उपयोगी साबित होगी। इस योजना को बढ़ावा मिलने से खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। जिससे किसानों के खेतों में पहले से ज्यादा उत्पादन हो सकेगा। इस योजना के तहत सरकार का उद्देश्य किसानों को कम लागत की सुविधा उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। जैविक खेती होने से हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और हमें रसायन मुक्त भोजन मिलेगा। इस योजना के तहत किसानों को स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों से भी सीधे जोड़ा जाएगा जिससे वह अपने उपजे हुए फसल को अच्छे दामों पर बेच सके।

परम्परागत कृषि विकास योजना की विशेषता 


इस योजना की बहुत सारी विशेषताएं हैं लेकिन कुछ मुख्य विशेषताओं को नीचे बताया गया है।

  • सोयल हेल्थ योजना के तहत इस योजना को शुरू किया गया है।

  • इस योजना के द्वारा किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जायेगा।

  • योजना के तहत जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता दी जाती है।

  • आधुनिक विकास और पारंपरिक ज्ञान के माध्यम से खेती का स्थाई मॉडल बनाने में यह योजना मदद करेगी।

  • इस योजना से मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी।

  • यह योजना वर्ष 2015-16 में क्लस्टर मोड में रसायनिक मुक्त जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी।

  • परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपया की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा 3 वर्षों के लिए दी जाएगी।

  • योजना के तहत किसानों को 50000 रुपया प्रति हेक्टेयर जैविक उर्वरक, कीटनाशकों और बीजों के लिए दिए जाएंगे।

  • किसानों को मूल्यवर्धन और वितरण के लिए 8800 रुपया मिलेगा।

  • इसके अलावा, क्षमता निर्माण और क्लस्टर निर्माण के लिए प्रति हेक्टेयर के लिए 3000 रुपया मिलेगा।

  • इस योजना का लाभ सीधे किसानों के खाते में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के माध्यम से भेजा जायेगा।

परम्परागत कृषि विकास योजना के लिए पात्रता 


  • भारत मूल निवासी किसान ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

  • परम्परागत कृषि विकास योजना में आवेदन करने के लिए किसान की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

  • योजना के लिए आवेदन केवल किसान ही कर सकेंगे।

  • परम्परागत कृषि विकास योजना में आवेदन करने वाले किसानों के पास सभी आवश्यक दस्तावेजों का होना आवश्यक है।

  • आवेदन करने वाले किसानों के पास खेती योग्य भूमि होनी चाहिए।


परम्परागत कृषि विकास योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज 


यदि आप भी किसान हैं और इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो आपके पास निम्नलिखित दस्तावेजों का होना अति आवश्यक है।

  • आधार कार्ड

  • निवास प्रमाण पत्र

  • आय प्रमाण पत्र

  • पहचान पत्र

  • राशन कार्ड

  • मोबाइल नंबर

  • पासपोर्ट साइज फोटो


परंपरागत कृषि विकास योजना 2024 के लिए आवेदन प्रक्रिया


यदि आप भी भारतीय किसान हैं और परम्परागत कृषि विकास योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो आपको इस योजना में आवेदन करना होगा। इसके लिए आप नीचे बताए तरीके को अपना सकते हैं।

  • आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसान को परंपरागत कृषि विकास योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।

  • उसके बाद आपके सामने रजिस्ट्रेशन का एक विकल्प दिखेगा जहां पर आपको क्लिक कर देना है।

  • फिर आपके सामने एक नया पेज खुलकर आ जाएगा जहां पर आपको इंडिविजुअल फार्मर के ऑप्शन को सेलेक्ट करना है।

  • फिर आपके सामने एक नया पेज खुलेगा और यहां पर आपसे कुछ जानकारी पूछी जाएगी जिसे आपको सही -सही भरना है।

  • फिर आपको अपना यूजर नेम और पासवर्ड बनाना होगा जिसकी सहायता से आप दोबारा इस वेबसाइट में लॉगिन कर पाएंगे।

  • फिर आपको नीचे रजिस्टर के बटन पर क्लिक कर देना है।

  • अब आपका रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरा हो जाता है।

  • उसके बाद आपको लॉगिन के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है।

  • अब आपको अपने यूजर नेम और पासवर्ड की सहायता से लॉगिन कर लेना है।

  • उसके बाद आपके सामने इस योजना के तहत आवेदन करें का एक विकल्प दिखेगा।

  • उस पर आपको क्लिक करना है, फिर आपके सामने एक आवेदन फार्म खुलकर आ जाएगा।

  • इस आवेदन फार्म को आपको सही तरीके से भर लेना है।

  • सभी जरूरी दस्तावेजों को आपको अपलोड कर लेना है।

  • फिर अंत में आपको नीचे सबमिट के बटन पर क्लिक कर देना है।

  • इस तरह से आपका आवेदन पूरा हो जाता है।

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